पिता ने नवजात को बेचा, मां से कहा- मर गया, 7 महीने बाद जिंदा मिला

डेस्कः
वैशाली में बेटे के जन्म के 4 घंटे बाद ही पिता ने 50 हजार रुपए में उसे बेच दिया। इसके बाद पिता ने पत्नी से कहा कि बच्चे की मौत हो गई है। मां ने बच्चे की बॉडी मांगी। अस्पताल ने कहा- हम लाश नहीं देते हैं। मां बच्चे की बॉडी देखने की जिद पर अड़ी रही। मां की इसी जिद की वजह से 7 महीने बाद पुलिस ने बच्चे को जिंदा बरामद किया है। पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें बच्चे का पिता राकेश, बच्चे को खरीदने वाला रमेश और 4 दलाल जयप्रकाश कुमार, जितेंद्र कुमार, अविनाश कुमार और अरुण कुमार शामिल हैं।
10 सितंबर 2024 को हुई थी डिलीवरी
महुआ थाना क्षेत्र के मानपुरा कन्हौली की रहने वाली गोलू देवी को लेबर पेन शुरू हुआ। आंगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ता की मदद से उसे हाजीपुर के जौहरी बाजार स्थित न्यू बुद्ध पॉपुलर इमरजेंसी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां 10 सितंबर 2024 को बच्चे का जन्म हुआ। बच्चे की नाजुक स्थिति बताकर कहीं ले गए और वापस लौटे तो बच्चा नहीं था। गोलू ने बच्चा मांगा तो कहा गया कि बच्चा मर गया है। शव मांगने पर कहा गया कि 'डेड बॉडी नहीं देते है और अस्पताल से भगाने की धमकी देने लगे।'
7 महीने बाद पुलिस ने बरामद किया बच्चा
नवजात की मां पुलिस से शिकायत करने पहुंची तो पुलिस ने FIR दर्ज करने से मना कर दिया। फिर11 दिसंबर को हाजीपुर SP से शिकायत की। SP के निर्देश पर 12 दिसंबर को केस दर्ज किया गया। पुलिस ने 7 महीने बाद सोमवार को गरौल से बच्चा बरामद किया। साथ ही बच्चे के पिता समेत 6 आरोपियों को अरेस्ट किया गया है।
पीड़ित गोलू देवी ने बताया- 'पहले से तीन बेटी और एक बेटा था। इसके बाद बच्चा नहीं चाहते थे। प्रेग्नेंसी की जानकारी मिली तो अबॉर्शन कराने का फैसला किया।'
इसके लिए अपने पड़ोसी और आंगनवाड़ी सहायिका से संपर्क कर आशा कार्यकर्ता मीनू देवी से मुलाकात की। फिर आशा कार्यकर्ता ने न्यू बुद्ध पॉपुलर इमरजेंसी हॉस्पिटल लेकर पहुंची। यहां अल्ट्रासाउंड कराया तो जांच में लड़का निकला।'
गोलू ने आगे बताया- 'जांच के बाद डॉक्टर ने कहा कि अबॉर्शन करवाएंगे तो मां की मौत हो सकती है। इसके बाद हम लोग घर आ गए। जब डिलिवरी का समय हुआ तो आशा कार्यकर्ता हमें अस्पताल में पहुंची। जहां हमारी नॉर्मल डिलिवरी से बच्चा हुआ था।'
बेहोशी का इंजेक्शन देकर बच्चे को बेचा
पीड़ित महिला गोलू देवी ने बताया- 'डिलिवरी के बाद आशा कार्यकर्ता मीनू देवी, डॉ चिन्दु उर्फ आदित्य राज और मेरे पति ने एक साजिश रची। इसके बाद हमे बेहोशी का इंजेक्शन दिया।
नवजात बच्चे की हाजत नाजुक बताकर इंजेक्शन दिलवाने का बहाना बनाकर कहीं ले गए और बेच दिया। वे लोग लौटकर आए तो कहा कि तुम्हारा बच्चा मर गया है। जब मैंने बच्चे बॉडी मांगी तो बताया कि शव नहीं मिलेगा।'
नवजात बच्चे की चाची रिंकू देवी ने बताया- 'नगर थाना ने बच्चा मिलने की सूचना दी। फिर हमलोग थाने पहुंचे, लेकिन गोद लेने नहीं दिया गया। जब नवजात के पिता को खोजा गया तो वह गाड़ी में बैठा था। मेडिकल जांच-पड़ताल के बाद बच्चा दे दिया और बच्चे के पिता को जेल भेज दिया।
बच्चे की दादी सुमित्रा देवी ने रोते हुए बताया- 'पोते के मिलने के बाद काफी खुश है। आंगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ता मीनू देवी के कारण मेरे परिवार में विवाद हो रहा था। आंगनवाड़ी सेविका और आशा के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।'
50 हजार में पिता ने की थी डील
नगर थाने की SI पुष्पम प्रज्ञा ने बताया- 'इस मामले में नवजात के पिता राकेश कुमार की भूमिका संदिग्ध लगी। फिर राकेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की और उसके मोबाइल का CDR निकाला गया। उसके मोबाइल से कई अहम सबूत मिले।
पिता राकेश की निशानदेही पर गरौल थाना क्षेत्र के सतपुरा गांव के रहने वाले रमेश कुमार के घर रेड की और बच्चे को बरामद किया। बच्चे के पिता ने पूछताछ में बताया कि 50 हजार रुपए में डील की थी।'