माटी का बेटा,माटी में लौटा : मिट्टी का ऋण कभी खत्म नहीं होता और शिबू सोरेन उसी की आवाज थे- मिथिलेश ठाकुर

दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर जेएमएम नेता व पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा, शिबू सोरेन जी का निधन एक युग, एक विचार, एक आंदोलन, एक पीढ़ी के साहस, संघर्ष और चेतना का अवसान है। उनका निधन झारखंड की आत्मा का एक टुकड़ा खो जाने जैसा है। वो टुकड़ा जो सदियों से उपेक्षा, शोषण और हक की लड़ाई लड़ता आया था।
शिबू सोरेन महज एक नेता नहीं थे। वे झारखंड की मिट्टी से उपजे वह बीज थे; जिसने जल, जंगल, जमीन की रक्षा में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। वे आदिवासी अस्मिता के सबसे सशक्त प्रहरी, पीड़ितों की सबसे मुखर आवाज और मजदूरों के लिए अनथक लड़ने वाले सेनानी थे।
ठाकुर ने आगे कहा, शिबू सोरेन जी का जीवन झारखंड की ही तरह तपस्वी और संघर्षशील रहा। शिबू सोरेन ने बहुत ही कम उम्र में शोषण के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की। उनके पिता सोबरन सोरेन की हत्या जब स्थानीय महाजन ने की, तो यह घटना उनके जीवन का अहम मोड़ बन गई। उन्होंने तय किया कि वे समाज को जागरूक करेंगे, उन्हें उनके अधिकारों के लिए लड़ना सिखाएंगे।