बैकवर्ड-फॉरवर्ड को लेकर भी फंस रहा है झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव

डेस्क
देश के 22 राज्यों में भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव संपन्न करा लिया है। लेकिन झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव पंचवर्षीय योजना की तरह लंबा होता जा रहा है। प्रतिपक्ष के नेता बनाए गए बाबूलाल मरांडी ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाते चले जा रहे है। प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाने के पीछ कई कारण गिनाए जा रहे हैं। प्रदेश में मंडल अध्यक्षों, जिलाध्यक्षों का अब तक चुनाव नहीं हो पाना उसमें प्रमुख बताया जाता है। लेकिन इसके इतर राष्ट्रीय पार्टी के लिए राष्ट्रीय समस्या मुख्य कारक के रूप में भाजपा को परेशान कर रहा है। राजनीति में जाति के होनेवाले खेल की तरह जाति ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में अड़ंगा डाल रहा है। इसमें झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार और फिर उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे प्रभावी बतायी जा रही है।
भाजपा के जानकार सूत्रों के अनुसार भाजपा के लिए झारखंड से पहले यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना प्राथमिकता में है। यूपी में भूपेंद्र चौधरी वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वह जाट समुदाय से आते हैं। जाट समुदाय में उनकी मजबूत पकड़ भी है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में करारा झटका लगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने बूते यूपी में 62 सीटें जीती थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में लोकसभा सीटों की संख्या घट कर 33 हो गयी। यूपी में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों का एक बड़ा वर्ग समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के साथ हो लिए। इसलिए भाजपा को वहां ब्राह्मणों के साथ साथ बैकवर्ड और दलित वोट को साधने वाले नेता की जरूरत है। ऐसे नेता की खोज में भाजपा यूपी में उलझी हुई है।
विलंब में यह भी है प्रमुख कारण
भाजपा के जानकार बताते हैं कि यूपी में फिलहाल ओबीसी अध्यक्ष है। बिहार में भी दिलीप जायसवाल के रूप में ओबीसी अध्यक्ष हैं। यूपी में भी महेंद्र जायसवाल ओबीसी समुदाय से ही हैं। इसलिए यूपी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होने से पहले झारखंड में किसी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना देना पार्टी के लिए मुश्किल हो रहा है। क्योंकि यूपी में भी अगर ओबीसी ही अध्यक्ष बनाना पड़ गया तो तीनों राज्यों में ओबीसी ही प्रदेश अध्यक्ष हो जाएगा। जबकि 2027 में यूपी में होनेवाले विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण से भाजपा के लिए यूपी के जातीय समीकरण को साधना पहली प्राथमिकता है। इसलिए ज्यादा संभावना है कि यूपी के बाद या यूपी के साथ ही झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नाम की घोषणा होगी।