खटिया बनी एंबुलेंस, सड़क बना सपना भोजपुर का गांव विकास से कोसों दूर.

आजदी के 78 साल बाद भी कई ऐसे गांव हैं, जिन्हें आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. ऐसे गांव आज भी है जो खराब सड़क जैसी परेशानियां झेल रहे हैं,कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि आम नागरिकों को अभी भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

खटिया बनी एंबुलेंस, सड़क बना सपना भोजपुर का गांव विकास से कोसों दूर.
भोजपुर जिले का धमवल गांव में सड़क का सपना तीन पीढ़ियों से अधूरा.
हाइलाइट्स 
  • भोजपुर जिले के धमवल गांव में अब तक का निर्माण नहीं हुआ.
  • बरसात के दिनों में कीचड़ से रास्ता दुर्गम हो जाता है.
  • न सिर्फ बाहर बल्कि गांव के भीतर भी सड़क की हालत बदतर है.

    तस्वीर भोजपुर जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र का धमवल गांव है। 
    आलम यह है कि गांव की तीन पीढ़ियों ने अब तक अपने गांव तक पहुंचने के लिए एक पक्की सड़क नहीं देखी है।सड़क के अभाव में ग्रामीणों का जीवन विशेषकर आपातकालीनस्थितियों में, अत्यंत कष्टदायक हो जाता है। सबसे अधिक पीड़ा गर्भवती महिलाओं को झेलनी पड़ती है, जिन्हें प्रसव के लिए आज भी खाट पर लादकर कई किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाना पड़ता है।
  • इस गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय निवासियों में सरकार,प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त है।ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में नेता आते हैं, सड़क बनवाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई भी सुध लेने नहीं आता।