समाजवाद का गढ़ शाहपुर में इस बार विधानसभा चुनाव में रोचक मुक़ाबला
बिहार विधानसभा चुनाव सीरीज़ में आज हम लोग बात करेंगे आरा लोक सभा अंतर्गत 198 शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के बारे में !

Shahpur Vidhansabha: समाजवाद के गढ़ कहे जाने वाले शाहपुर विधानसभा क्षेत्र भोजपुर जिला एवं आरा लोक सभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है, यहाँ के चुनावी राजनीति का इतिहास को देखा जाए तो इस विधानसभा क्षेत्र(198)का गठन 1951 में हुआ था।1952 के प्रथम विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक 17 विधानसभा चुनाव में 12 बार समाजवादियों का 3 बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(INC) का तथा दो बार भारतीय जनता पार्टी(BJP) का क़ब्ज़ा रहा है।
राज्य के समाजवादी नेता और स्वतंत्रता सेनानी रामानंद तिवारी की यह कर्मभूमि रही है।
रामानन्द तिवारी ने शाहपुर का प्रतिनिधित्व 5 बार (1952,1957,1962,1967 तथा 1969) में किया ।वे 1952 मे सोशलिस्ट पार्टी से 1957,1962 मे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से तथा 1967 व 1968 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से चुने गए थे।
उनके पुत्र शिवानंद तिवाटी दो बार 2000 तथा फरवरी 2005) में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी के रूप इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वर्तमान विधायक राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी, जो शिवानंद तिवारी के पुत्र है, दो बार (2015 एवं 2020) में इस क्षेत्र के राजद प्रत्याशी के रूप में प्रतिनिधि रहे है। इस प्रकार कुल 17 विधान सभा सभा चुनावों में 9 बार तिवारी परिवार का ही कोई सदस्य विधायक रहे हैं। 1977 में जनता पार्टी के जय नारायण मिश्रा तथा 1990 एवं 1995 में जनता दल के धर्मपाल सिंह इस क्षेत्र विधायक चुने गये थे।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं श्रमिक नेता बिन्देश्वरी दुबे भी इस क्षेत्र प्रतिनिधत्व कर चुके हैं। वे 1985 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुन्नी देवी यहां से दो बार (अक्टूबर 2005 तथा 2010) विधायक रह चुकी हैं। जहां तक पिछले अर्थात 2020 के विधान सभा चुनाव का प्रश्न है तो वर्तमान विधायक राहुल तिवारी ने 64,393 मत हासिल कर निर्दलीय प्रत्याशी शोभा देवी को 22,883 मतों से पराजित किया था । भाजपा की प्रत्याशी मुन्नी देवी 21,355मतों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी।
2015 के विधानसभा चुनाव में राहुल तिवारी ने 69,315 मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वन्दी भाजपा के प्रत्याशी विशेश्वर ओझा को 14, 570 मतों के अंतर से पराजित कर पहली बार विधायक चुने गये थे। 2015 तथा 2020 के चुनावों में समाजवादी वोटो का बिखराव नहीं हुआ और इसका सीधा लाभ राहुल तिवारी को मिला। 2015 में राजद की जदयू के साथ तथा 2020 में वामदलों के साथ गठबंधन था।
जहां तक जातीय समीकरण का सवाल है,यहां ब्राह्मण,यादव,भूमिहार, कुर्मी व दलित समुदाय का विशेष प्रभाष है। यहां से राजद को यादव, ब्राह्मण, मुस्लिम एवं दलित समुदाय की अच्छा खासा वोट प्राप्त होते रहा है। दूसरी तरफ या राजद विरोधी मतों के ध्रुवीकरण से भाजपा भी यहां दो बार सफलता प्राप्त कर चुकी
2025 के आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशी में के रूप राजद प्रत्याशी में वर्तमान विधायक राहुल तिवारी ताल ठोकने के लिए तैयार है और जीत की हैट्रिक लगाने के लिए प्रयास करेंगे। हालांकि यह अभी आधिकारिक रूप से तय नहीं हुआ है कि महागठबंधन का प्रत्याशी कौन होगा। NDA के तरफ से यह सीट BJP के कोटे में जाने की पूरी संभावना है ।
पिछले चुनाव को देखते हुए लगता है कि ओझा परिवार के सदस्य भाजपा प्रत्याशी हो सकते हैं हालाँकि पूर्व बिहार भाजपा उपाध्यक्ष विश्वेश्वर ओझा की हत्या के बाद ओझा परिवार में उठे विवाद आज भी थमने का नाम नहीं ले रहा है आरोप-प्रत्यारोप जारी है इससे भाजपा के मतों में बिखराव होने की संभावना है और इसका सीधा लाभ महागठबंधन के प्रत्याशियों को हो सकता है।
जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी होने की स्थिति में मुक़ाबला और दिलचस्प होने की संभावना है।
जन सुराज के प्रत्याशी किसके वोट में सेंधमारी करेंगे उससे निश्चित हानि हो सकती है कुल मिलाकर शाहपुर का आगामी विधानसभा चुनाव में कांटे का मुक़ाबला देखने को मिलेगा ऊँट करवट बैठेगा यह तो समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि मुख्य मुक़ाबला तिवारी परिवार और ओझा परिवार के बीच ही होना है।