जगदीशपुर विधानसभा चुनाव 2025 क्या हो सकता है परिणाम समझिए
बिहार विधानसभा चुनाव के इस सीरीज़ में आज हम लोग चर्चा करेंगे भोजपुर जिला के जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के बारे मे.

Jagdishpur Vidhansabha:जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह के नाम से जुड़ा हुआ है। वे 1857 ईस्वी में जगदीशपुर रियासत के शासक थे। उन्होंने 79 वर्ष की अवस्था में अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लिया था। आज उनका एक भव्य प्रतिमा जगदीशपुर किले के सामने स्थित है। जगदीशपुर का नाम भगवान विष्णु के नाम जगदीश से लिया गया माना जाता है। जगदीशपुर नगर पंचायत तथा अनुमंडल मुख्यालय भी है।
जगदीशपुर विधानसभा का इतिहास
जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र(197) का गठन 1951 में किया गया था। 1952 के प्रथम चुनाव से लेकर 2020 तक यहां 16 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। 1957 से 1962 के बीच यह विधानसभा क्षेत्र नहीं था। यहां का चुनावी इतिहास देखा जाए तो इस सीट पर मध्य व वामपंथी दलों का कब्जा रहा है। यहां कांग्रेस, जनता दल, राजद तथा जदयू का प्रभाव रहा है। इस सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का वर्चस्व था। यहां से 1952 में कांग्रेस की सुमित्रा देवी चुनी गई थी। वह बिहार की प्रथम महिला मंत्री बनी थी। 1977 तक यहां कांग्रेस का दबदबा कायम रहा। इसके बाद से यहां समाजवादी एवं वाम दलों का वर्चस्व कायम हो गया। इसके बाद यहां से लोकदल (1985), आइपीएफ (1990), जनता दल (1995), समता पार्टी (2000),जदयू (फरवरी 2005 व अक्टूबर 2005) तथा राजद (2010, 2015 व 2020) जीतते रहे हैं। इस क्षेत्र के एक बड़े नेता भगवान सिंह कुशवाहा यहां से चार बार (1990, 2000 फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005) तीन पार्टी से विधायक रहे। पिछले तीन चुनाव से राजद का यहां कब्जा रहा है। दिनेश कुमार सिंह उर्फ दिनेश यादव 2010 में तथा राम विशुन यादव उर्फ राम विशुन सिंह लोहिया लगातार दो बार से 2015 एवं 2020 में राजद के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते।
क्या है जगदीशपुर का जातीय समीकरण?
यहां का जातीय समीकरण देखा जाए तो यह क्षेत्र यादव, कोइरी, मुस्लिम तथा अति पिछड़ा वर्ग बाहुल्य क्षेत्र रहा है। इसमें देखा जाए तो यादव और कोइरी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है।
कैसा होगा 2025 का चुनाव?
2025 के विधानसभा चुनाव में यहां निश्चित रूप से महागठबंधन (कांग्रेस, राजद व वामदलों) और एनडीए प्रत्याशियों के बीच सीधे टक्कर होने की संभावना है। जन स्वराज मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहा है। अब तो यह समय बताएगा कि वह अपने प्रयास में कितना सफल होगा। सभी दल व गठबंधन जातीय समीकरण साधने के साथ-साथ विकास, रोजगार, भ्रष्टाचार आदि मुद्दे को साधने की कोशिश में लगे हैं। कुल मिलाकर जगदीशपुर का आगामी विधानसभा चुनाव बड़ा रोचक होगा और यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा की जीत किसके हाथ लगती है।