वोटर कार्ड से वोट नहीं डाल सकते? तो क्या इसे चूरन ख़रीदने के लिए बनवाया गया था?
वोटर कार्ड से वोट नहीं डाल सकते? तो क्या इसे चूरन ख़रीदने के लिए बनवाया गया था? भाजपा को बिहार के जनादेश की भनक लग चुकी है और अब वो अपनी हार से डरी हुई है. वोटर लिस्ट रिवीजन आम जनमत के ख़िलाफ़ भाजपा का षड्यंत्र है. भाजपा अब लोकतंत्र के लिए भस्मासुर बन चुकी है.

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के नाम पर खुलकर सोशल इंजीनियरिंग खेली जा रही है जिसका मकसद बिहार चुनाव में पिछड़ा, अतिपिछड़ा, दलित, मुसलमान और भूमिहीन आबादी को वोटिंग लिस्ट से बाहर करना है.
ये एक सुनियोजित षडयंत्र है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग की भी मिलीभगत है.
बिहार में चुनाव सिर पर हैं और बिहार की आम जनता के साथ बहुत ख़तरनाक खेल होने जा रहा है. 8 करोड़ से अधिक आबादी वाले बिहार में वोटिंग लिस्ट रिवीजन को लागू कर दिया गया है, जबकि फरवरी 2024 में ही एक ताज़ा वोटर लिस्ट बन चुकी थी…
इन दिनों केंद्र और राज्य सरकारें तथा चुनाव आयोग मिलकर देश और खासकर बिहार में रह रहे दलित, ग़रीब, पिछड़े, अल्पसंख्यक और जनजातीय लोगों को उनके इस मूल अधिकार से वंचित कर लोकतंत्र का गला घोंटने की साज़िश कर रहे हैं.
पहले चुनाव आयोग वोट जुड़वाता था, लेकिन अब चुनाव आयोग मोदी, शाह और नीतीश के कहने पर मतदाताओं की छँटनी कर रहा है. क्या पिछला लोकसभा चुनाव बिना लिस्ट रिवाइज किए ही हो गया था?
अंधेर इतना है कि जिस आधार और राशन कार्ड से सरकार हर महीने 80 करोड़ लोगों को राशन देती है, उसी आधार और कार्ड को वह अब मानने से इनकार कर रही है…समझ नहीं आ रहा कि अपना माथा पीटें कि उनका! आधार कार्ड बना किसलिए था?
बिहार में साक्षरता दर 61 % है…यानी सौ में से चालीस लोग फॉर्म तक नहीं भर सकते…और जो दस्तावेज़ उनसे मांगे जा रहे हैं, वे भी ज्यादातर लोगों के पास नहीं हैं.
बारिश का समय चल रहा है—कम से कम चार महीने बिहार का बड़ा हिस्सा डूबा रहेगा…ऐसे में लोग अपनी जान बचाएं, अपने पालतू जानवरों को बचाएँ…अपना घर संभालें या कागज़ जमा करें?
चुनाव में समय बहुत कम बचा है और जरूरी दस्तावेज़ भी जल्दी जमा करने हैं…अब आप ख़ुद सोचकर देखिए कि जरूरी दस्तावेज़ सुरक्षित रखने और उन्हें जल्द से जल्द हासिल कर पाने वाला वर्ग कौन सा है?
क्या बिहार के गरीब किसानों और दिहाड़ी मजदूरों के आधार कार्ड और राशन कार्ड को वोटिंग के लिए अमान्य बता देना उनके साथ अन्याय नहीं है? दरअसल ये पाप है…और सरकार इस पाप की भागीदार है…उसे इस पाप का दंड जरूर मिलेगा.
पूर्णिया के एक चुनाव अधिकारी ने अपने बयान में कहा है कि आपको नागरिकता प्रमाणित करने वाला दस्तावेज़ देना होगा…क्या इससे यह साबित नहीं हो रहा कि यह एक नया नागरिकता अभियान है?
क्या यह नागरिकता रजिस्टर बनाने की तैयारी है? और क्या सिर्फ एक महीने के इतने कम समय में 8 करोड़ लोग अपने सारे कागज़ात जमा कर पाएंगे?
दरअसल ये चुनाव की तैयारी नहीं व्यवस्थाजन्य भ्रष्टाचार है. सरकार और चुनाव आयोग मिलकर बिहार की जनता को उनके वोटिंग अधिकार से बेदख़ल करना चाहते हैं और बिहार को पहले से ज़्यादा बर्बाद, खस्ताहाल और असहाय बना देना चाहते हैं.
केंद्र की बीजेपी और राज्य की नीतीश सरकार चुनाव आयोग के सहारे साजिशन उन जातियों को वोटर लिस्ट से बाहर करने पर तुले हैं, जो उनके लिए बिहार चुनाव में चुनौती बन सकती हैं.
यह वही साज़िश है जो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनाई गई थी.
यह लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश है, और इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और चुनाव आयोग—तीनों बराबर के दोषी हैं.