अमित शाह के बिहार दौरे से बेचैन है JDU?

अमित शाह बिहार में नीतीश कुमार के भविष्य पर लेंगे फैसला, गृहमंत्री के दौरे से JDU में बेचैनी

अमित शाह के बिहार दौरे से बेचैन है JDU?

गृहमंत्री अमित शाह 2 दिवसीय बिहार दौरे पर आज पटना पहुंच रहे हैं.

क्या ये भारतीय जनता पार्टी की ओर से बिहार चुनाव का आधिकारिक आगाज है. क्या अमित शाह गोपालगंज से ही बिहार चुनाव के लिए भाजपा की तैयारियों का शंखनाद करेंगे.

क्या गोपालगंज से ही बिहार में अबकी बार 225 पार का नारा बुलंद किया जायेगा.

क्या आधुनिक राजनीति के चाणक्य समझे जाने वाले अमित शाह लालू और राबड़ी के गृह जिला गोपालगंज से ही बिहार चुनाव के लिए भाजपा के चुनावी कैंपेन का आगाज करेंगे.

खबरें हैं कि अमित शाह पटना में पार्टी के पदाधिकारियों, विधायकों, सांसदों और मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे. साथ ही उनका एनडीए घटक दल के नेताओं के साथ भी बैठक प्रस्तावित है. ऐसे में क्या अमित शाह, बिहार में एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे पर भी कोई बड़ा फैसला करेंगे.

नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित है बिहार विधानसभा चुनाव
बिहार में इसी साल के अंत में चुनाव होना है. निर्वाचन आयोग संभवत नवंबर या दिसंबर माह में बिहार चुनाव का ऐलान कर सकता है. बिहार में इसकी तैयारी शुरू हो गयी है.

नीतीश कुमार जहां प्रगति यात्रा के जरिये जनता से जुड़ने की कवायद में लगे हैं तो भाजपा के बड़े नेताओं की जनसभाएं हो रही है.

आरजेडी के तेजस्वी यादव भी जन विश्वास यात्रा के जरिये जनता से जुड़ने की कोशिशों में लगे हैं.

इसी कड़ी में 30 मार्च को गोपालगंज में गृहमंत्री अमित साह की विशाल जनसभा का आयोजन किया गया है. तस्वीरों और ट्वीट से ऐसा लगता है कि बिहार भाजपा ने इस रैली के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, प्रदेस प्रभारी के साथ-साथ जिलाध्यक्ष, प्रखंड अध्यक्ष और बूथ-मंडल अध्यक्ष तक ने अपनी क्षमता झोंक दी है.

गोपालगंज बिहार के 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी का गृह जिला है.

कहा जा रहा है कि यहां से चुनावी कैंपेन का आगाज करके अमित शाह बिहार को बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश देना चाहते हैं. इस रैली में भारी संख्या में लोगों को जुटने का अनुमान है. अमित शाह की रैली के जरिये बिहार भाजपा दरअसल, एक तरह से शक्ति प्रदर्शन करना चाहती है.

नीतीश कुमार को और नेतृत्व सौंपने के पक्ष में नहीं है बीजेपी
वैसे भी भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगता रहा है कि वह विभिन्न राज्यों में अपने सहयोगियों को खा जाती है.

पिछले 1 दशक में बिहार में जेडीयू की सीटें जिस तरीके से घटी है, वह इसकी पुष्टि भी करता है. नीतीश 40 के आसपास सीट लाकर भी मुख्यमंत्री इसलिए हैं क्योंकि पिछड़ा, कुर्मी, कोयरी और महिलाओं का वोट बैंक उनके साथ है.

आगे भी भाजपा जेडीयू के साथ इसलिए जायेगी क्योंकि यह समीकरण का तकाजा है.