20 शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए खुद को बहरा-दिव्यांग बताया, जांच में निकले पूरी तरह फिट

20 शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए खुद को बहरा-दिव्यांग बताया, जांच में निकले पूरी तरह फिट

डेस्क
पूर्वी सिंहभूम जिले में पदस्थापित 20 शिक्षकों द्वारा अपने गृह जिले में स्थानांतरण की मांग करते हुए बहरेपन और दृष्टिदोष का हवाला दिया गया है। इसके लिए उन्होंने जामताड़ा जिला स्वास्थ्य विभाग से 40 से 45 प्रतिशत तक की दिव्यांगता दर्शाने वाले प्रमाण पत्र बनवाए थे। जिला शिक्षा विभाग ने तबादले की प्रक्रिया से पहले सभी शिक्षकों को सिविल सर्जन कार्यालय, जमशेदपुर में जांच के लिए बुलाया। वहां गठित मेडिकल बोर्ड और ईएनटी विशेषज्ञों की जांच में 16 शिक्षक पूरी तरह से स्वस्थ पाए गए, यानी उनके दिव्यांगता संबंधी दावे झूठे निकले। इसके अलावा तीन अन्य शिक्षकों के प्रमाण पत्र भी फर्जी पाए गए, जिनमें बताई गई दिव्यांगता 20-25 प्रतिशत से अधिक नहीं थी। दो ऐसे शिक्षक भी सामने आए जिन्होंने खुद को 50 प्रतिशत दृष्टिदोष वाला बताया था, लेकिन जांच में वे भी सामान्य निकले।
जिला शिक्षा विभाग ने अंतर-जिला स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए थे, जिसमें लगभग 20 शिक्षकों ने मेडिकल ग्राउंड पर तबादले की मांग की थी और इसके समर्थन में बहरेपन संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे। सभी शिक्षकों को सदर अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए बुलाया गया, जहां जांच में गड़बड़ी उजागर हुई। अधिकांश प्रमाण पत्र दो महीने से लेकर एक साल के भीतर बनवाए गए थे। जिला स्वास्थ्य विभाग ने अब पूरी रिपोर्ट तैयार कर शिक्षा विभाग को सौंप दी है। इसके आधार पर यह तय किया जाएगा कि संबंधित शिक्षकों का तबादला किया जाएगा या नहीं।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल ने कहा: “शिक्षकों की मेडिकल जांच मेडिकल बोर्ड द्वारा की जा रही है। बोर्ड की रिपोर्ट ही अंतिम मानी जाती है। अगर कोई वास्तव में दिव्यांग है, तो वह मेडिकल जांच में भी प्रमाणित होगा। लेकिन केवल प्रमाण पत्र बनवाकर लाने से कोई दिव्यांग नहीं माना जा सकता। सही और सटीक निर्णय मेडिकल बोर्ड की जांच पर ही आधारित होगा।”