पसीना निकलने की वजह से परेशान था, NIT छात्र ने किया सुसाइड

पसीना निकलने की वजह से परेशान था, NIT छात्र ने किया सुसाइड

डेस्कः
पटना के बिहटा स्थित NIT (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) के छात्र प्रशांत पाल (23) ने रविवार को ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। प्रशांत थर्ड ईयर के कंप्यूटर साइंस का छात्र था। उसने अपने सुसाइड नोट में बीमारी से परेशान होकर जान देने की बात लिखी है। प्रशांत को हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी थी, जिसमें ठंड के मौसम में भी हाथ-पैर से बहुत पसीना आता है। हाथों में जलन होती है। वो बीते कई सालों से इस बीमारी से परेशान था। परिवार ने इलाज में 20 लाख रुपए भी खर्च किए, लेकिन कुछ खास राहत नहीं मिली। प्रशांत पाल यूपी के शाहजहांपुर के रोजा मठिया कॉलोनी का रहने वाला था। उसके पिता किसान हैं। प्रशांत पाल का शव जीआरपी ने प्रशांत का शव बिहटा स्टेशन से पश्चिम पाली हॉल्ट के पास से बरामद किया।
प्रशांत ने दो पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा है। अपने पापा हरिओम पाल के नाम लिखे लेटर में प्रशांत ने अपनी बीमारी से परेशान होकर जान देने की बात कही है। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा- 'मेरी सारी समस्या और बीमारी का समाधान मौत है।'
अब पढ़िए प्रशांत के सुसाइड नोट के जरिए उनकी पूरी कहानी

A NOTE FOR MY FATHER

नमस्ते पापा,

उम्मीद करता हूं कि ये नोट आप मेरे मरने के बाद ही पढ़ रहे होगें। पिछले 18-20 दिन से मुझे रात भर नींद नहीं आती। बहुत सोच-विचार करने के बाद, मैंने खुद को खत्म करने का निर्णय लिया। पापा, मैने आपको बताया नहीं कि मैंने फरवरी महीने से दवाई लेना बंद कर दिया था, क्योंकि मुझे कुछ बेहतर सुधार नहीं मालुम हो रहा था। दवाई लेने के बाद भी मेरे हाथ और पैरों से पसीना कम होने के बजाय, और बढ़ता जा रहा था।
हर समय हाथ और पैर गीले रहने की वजह से, मेरे हथेली और तलवे में बेतहाशा जलन होती थी, दर्द भी रहता था। कभी-कभी तो इतना ज्यादा पसीना आ जाता था कि मेरे हाथ और हथेली सड़ने लगते थे। बस मैंने खुद को खत्म करने का निर्णय तो मिड-सेमेस्टर के समय ही कर लिया था, लेकिन आप सब को एक बार जी भर के देखना चाहता था, इस लिए होली पर घर आय था। इन समस्याओं की वह से मेरी पढ़ाई भी अच्छी नहीं चल रही थी।
फ्रस्ट्रेशन तो बढ़ता ही जा रहा था। साथ ही कुछ बेहतर करने का सपना भी डूब रहा था। जिंदगी काफी रंगहीन और मीनिंग लेस होने लगी थी। मुझे पता है कि आप की बहुत सारी उम्मीद मुझसे जुड़ी थी, लेकिन मैं क्या करूं, मेरे भी तो सारे सपने, ख्वाहिशें अधूरे हैं। पापा आपसे एक बात कहना चाहता हूं कि "आप दुनिया के सबसे बेस्ट पापा हो"।
प्रशांत ने अपने नोट में लिखा-' अंत में एक बात और पापा... अपने परिवार में कभी किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसका नाम प्रशांत न रखा जाए।'
प्रशांत पाल लंबे समय से हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी से जूझ रहे थे। उनके पिता हरि ओम पाल ने बताया कि ' बेटे के इलाज के लिए मैंने हरिद्वार, शाहजहांपुर, लखनऊ और बरेली में करीब 20 लाख रुपए खर्च किए। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।'

घटना की सूचना मिलते ही उत्तर प्रदेश के हरदोई से प्रशांत के परिजन पटना पहुंचे। उन्होंने प्रशांत के शव को उनके गांव धम्मापुर के एक खेत में दफना दिया। दरअसल, उनके परिवार में मान्यता है कि किसी की असमय मौत होती है तो शव को दफनाया जाता है।