भोजपुर का ऐसा गांव जिसने आजतक सड़क नहीं देखी

डेस्क
भोजपुर का ऐसा गांव जिसने आजतक सड़क नहीं देखी है। गांव की आबादी 4000 है। वोटरों की संख्या 2700 है। गांव में सबसे ज्यादा ब्राह्मण हैं। दूसरे नंबर पर यादवों की संख्या है और सबसे कम हरिजन हैं। क्षेत्र के विधायक राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी भी ब्राह्मण हैं।
विधायक कहते हैं, गांव की सड़क का डिस्टेंस ज्यादा है। जमीन रियायती है। जब भी इस गांव में सड़क बनेगी तो मुख्यमंत्री टोला योजना के तहत बनेगी। मैंने गांव को लिस्ट में रखा है, मापी भी करा ली है। जब सरकार नींद से जागेगी, तब गांव में सड़क बनेगी।
जब भी टेंडर होगा तो एनओसी लेने की पहल की जाएगी। मुख्यमंत्री टोला संपर्क योजना के तहत मेरे विधानसभा में पिछले 5 साल में एक ही टेंडर हुआ है। इसके अलावा अभी तक कोई भी टेंडर नहीं हुआ है। मामला शाहपुर प्रखंड अंतर्गत बहोरनपुर पंचायत के धमवल गांव का है।
गांव से बाहर जाने के लिए इन्हें 2 किमी के कच्चे मार्ग से गुजरना पड़ता है। बरसात के समय परेशानी और बढ़ जाती है, क्योंकि गांव में बाढ़ का पानी चारों तरफ भरा रहता है। ऐसे में ग्रामीणों को नाव से करीब 6 गांव को पार करना पड़ता है। 15 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। गांव जिला का सबसे नीचला इलाका है। यहां सबसे पहले बाढ़ आती है और बाढ़ का पानी सबसे अंत में सूखता है।
गांव के करीब 1400 लोग बाढ़ के समय पलायन कर जाते हैं। किराए के घर में तीन महीने तक रहते हैं। गांव के 60 साल के बुजुर्ग कहते हैं जब से हमारा जन्म हुआ हमने अपने गांव में कभी सड़क देखी ही नहीं।
गांव के लोगों ने रोड के लिए BDO, CO, DM से लेकर विधायक, सांसद और मंत्री तक को लेटर दिया है। इसके बाद भी इनकी मांग पूरी नहीं हुई तो इनकी नाराजगी और बढ़ गई है। गांव में अधिकारी, जनप्रतिनिधि तभी आते हैं जब चुनाव का समय आता है। ये लोग आश्वासन देते हैं और चले जाते हैं। जिम्मेदारों को गांव की समस्या से लेना-देना नहीं होता।
इन्हीं सब कारण की वजह से 2024 लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार किया था। अब ये लोग विधानसभा इलेक्शन में भी वोट बहिष्कार करेंगे।
गांव से मुख्य सड़क तक 2 किमी वाले कच्चे रास्ते पर एक नहर है। जिसपर स्थानीय मुखिया की पहल पर हर साल एक कामचलाऊ पुलिया बनाई जाती है। सिमेंट के मोटे पाइप के ऊपर मिट्टी भर दी जाती है। इसी से होकर आना-जाना होता है। जब बाढ़ का पानी आता है तो मिट्टी बह जाती। बाढ़ के बाद फिर से उसी प्रकार से पुलिया बना दी जाती है।
धमवल गांव के आसपास भरौली, सुहिया, सहजौली, शाहपुर समेत अन्य गांव हैं। इन्हीं गांव से होकर बाढ़ के दिनों नाव से लोग मुख्य सड़क जाते हैं।
ग्रामीणों ने बताई अपनी आपबीती...
गांव में विधि व्यवस्था नहीं
ग्रामीण अक्षय कुमार यादव ने कहा कि हमारे गांव में कोई विधि व्यवस्था नहीं है। एक पुलिया हमलोगों ने बनाई है। यहां हर साल दुर्घटना होती है। चाहे कोई भी सरकार हो ऐसा कोई सगा नहीं जिसने हमारे गांव का मत ठगा नहीं। शिकायत सभी अधिकारियों से हमलोगों ने की है। हमारे गांव में इंटर तक स्कूल है, लेकिन बरसात के दिनों में बंद रहते हैं।
भगवान के सहारे गांव के लोग
सोनी कुमारी ने बताया कि जब से मेरा जन्म हुआ है। मैंने अपने गांव में सड़क देखी ही नहीं। आने-जाने में बहुत दिक्कत होती है। बारिश परेशानी और बढ़ जाती है। कपड़े ऊपर करके जाना पड़ता है। खेती यहीं करना पड़ता है।
नागेंद्र ने कहा कि बहुत मुश्किल है आना-जाना। भगवान के सहारे है गांव के लोग।
पानी-कीचड़ परेशानी और नाव सहारा
60 साल के किसान नागेंद्र सिंह ने भी बताया कि एक बार रास्ता बनने की उम्मीद जगी थी। जब मुन्नी देवी विधायक थी। उस दौरान प्रयास किया गया था, लेकिन किसी कारण आगे की प्रक्रिया नहीं हुई। गांव में आने का यही रास्ता है। यह रास्ता सिन्हा से लेकर नैनी तक चला जाता है। बरसात में पानी और कीचड़ हो जाता है। बाढ़ में नाव से जाना पड़ता है।
तबीयत खराब होने पर जान बचाना मुश्किल
सनिष्क कुमार सिंह ने बताया कि गांव चारों तरफ से बाढ़ से घिर जाता है। बाढ़ के समय में किसी की तबीयत खराब होने पर जान बचाना मुश्किल हो जाता है। बाढ़ के समय गांव के कई ग्रामीण दूसरे गांव में किराए के मकान में रहते है। बाइक या दूसरी गाड़ी को काफी दूर खड़ा करना पड़ता है।
ग्रामीण चंद्रभुवन तिवारी ने कहा कि समस्या की जानकारी सभी अधिकारियों और नेताओं को है। बाढ़ के समय अपने बच्चों को कंधे पर चढ़ाकर पानी से गुजरना पड़ता है।
2014 में पूर्व केंद्रीय मंत्री से मांग की थी
पिछले दस सालों से ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है। ग्रामीणों ने 2014 में चुनाव जीतने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सांसद राज कुमार सिंह से मिलकर गांव में सड़क बनाने की मांग की थी।
उसके बाद से सिर्फ आश्वासन मिला। राज कुमार सिंह के चुनाव के हारने के बाद माले के सांसद सुदामा प्रसाद ने तो आश्वासन तक नहीं दिया।
जबकि राजद के शाहपुर विधायक राहुल तिवारी उर्फ मंटू तिवारी के तरफ से भी कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इन्होंने ग्रामीणों को कहा था कि फंड नहीं आया है। आने के बाद उसपर विचार किया जाएगा।
सरकार हमलोगों पर ध्यान नहीं देती
मुखिया पति अनिल सिंह ने कहा कि सरकार हमलोग पर ध्यान नहीं देती है। गांव में आने के लिए कच्ची सड़क पर एक पुलिया है। उसी पुलिया से आते-जाते है। बरसात होने पर यह रास्ता बंद हो जाता है। उसके बाद गांव में आने जाने के लिए 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।
2 किलोमीटर तक सड़क बनवाने के लिए कई बार आवेदन दिया। कोई सुनवाई नहीं हुई है।
भोजपुर DM तनय सुल्तानिया ने कहा,
शाहपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी शत्रुंजय कुमार सिंह और BPRO राजेश प्रसाद को निर्देश दिया गया है कि वहां की स्थिति को देखकर रिपोर्ट तैयार करें। इसके बाद गांव की समस्या को लेकर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजा जाएगा।